» » » अपनी पहचान को भी खत्म कर देती है नकल की आदत

बचपन से एक कहावत हम सब सुनते आए हैं की नकल अक्ल से होती है। मतलब नकल करने के लिए अक्ल जरूरी है। किसी न किसी तरह से, कभी न कभी हम सब नकल करते हैं। जिसे नकल से कुछ नया सीखने की आदत लग जाए, तो वह सफलता की एक नई कहानियां लिख देता है। जिसे सिर्फ नकल करने की आदत लग जाए तो यह आदत दिमाग की तरह व्यक्ति के व्यक्तित्व को खत्म कर देती है। ऐसे व्यक्ति की खुद की पहचान खत्म हो जाती है।

यह व्यक्ति को तय करना होता है वह उसे किस तरह से लेता है। ऐसे ही सीखते आए हैं हम : हमने सुन-सुन कर सुनना सीखा है, बोल-बोल कर बोलना व पढ़-पढ़ कर ही पढ़ना सीखा है। बचपन से ही हम अपने आस पास के लोगों के अनुभवों से सीख कर ही आगे बढ़ते हैं। किसी को हम फॉलो करते हैं, तो कोई हमें फॉलो करता है। सीखने व जानने की पक्रिया ऐसे ही आगे बढ़ती है। किसी न किसी रूप में , कभी न कभी हम एक दूसरे की नकल जरूर करते हैं। कुछ नया सीखने के लिए अगर हम नकल करते हैं तो अच्छा है।
दो तरह से होती है नकल : असल में नकल भी दो तरह की होती है, जब हम अपने विकास के लिए किसी दूसरे का अनुसरण करते हैं, उसकी नकल करते हैं, उस जैसा करने की नहीं। उससे बेहतर करने की कोशिश करते हैं तो यह अच्छा है। दुनिया में एक व्यक्ति को नई सोच का जीनियस कहा गया। स्टीव जॉब ने अपने जीवन में कोई नई खोज नहीं की, बल्कि जो कुछ भी उपलब्ध था, उसे और बेहतरीन बना दिया। उसे इतना बेहतर बना दिया कि अब दुनिया की हर मोबाइल कंपनी उसका अनुसरण करना चाहती है। वैसा उत्पाद बनाना चाहती है। इसलिए इस तरह की नकल जीवन में हम एक बार नहीं सौ बार भी करें तो अच्छा है।

व्यक्ति की पहचान को खत्म कर देती है नकल : नकल व्यक्ति के व्यक्तित्व व उसकी पहचान को भी खत्म कर देती है। अगर हम सिर्फ नकल करते हैं तब हम कुछ नया हासिल करना तो दूर जो हमारे पास होता है, उसे भी खत्म कर देते हैं। जब दुनिया की कोई कंपनी सिर्फ दूसरों की नकल करना शुरू कर देती है, तब वह अपने आप को खो रही होती है। कुछ नया करने को खो देती है। अपने ग्राहकों को खो देती है। अपनी पहचान बनाए रखने के लिए नकल को अक्ल से करना जरूरी है।



आने वाली पीढ़ियों को खत्म कर देगी यह नकल : पिछले दिनों देश भर के स्कूलों में एग्जाम चल रहे थे। नकल करने की जो तस्वीरें सामने आई, ये तस्वीरें कोई नई नहीं थी। देश के कई राज्यों में हालात बद से बदतर हैं। आजादी के लगभग सात दशक के बाद भी स्कूल कॉलेजों में नकल करने की स्थिति में कोई ज्यादा सुधार नहीं है। यह पवृत्ति आने वाली पीढ़ियों को खत्म कर रही है। स्कूल व कॉलेज के दिनों में हमें जिस भी विषय में नकल करने की आदत हो गई, वह विषय कभी भी हमारा प्रिय विषय नहीं बन सका। उसे न हम समझ सके न ही जान सके।
जब हम नकल करना शुरू कर देते हैं तो नया सीखना बंद कर देते हैं। नजर बस नकल करने पर रह जाती है : जिन लोगों को जीवन में सिर्फ नकल करने की आदत हो जाती है वे कभी विश्वास के साथ कोई काम नहीं कर पाते। उनका पूरा ध्यान सिर्फ इधर- उधर देखने पर होता है। वे दूसरों को ही देखते रहते हैं। कुछ लोग आस पास आपको जरूर ऐसे मिलेंगे, उनके सामने आप कुछ भी करेंगे वे उसे भी नकल करने की कोशिश करेंगे। ऐसे लोगों को व्यक्तित्व असहाय की तरह होता है, जो हर कार्य में फिर सिर्फ दूसरों से मदद की अपेक्षा करते हैं।

About प्रवीण त्रिवेदी

Hi there! I am Hung Duy and I am a true enthusiast in the areas of SEO and web design. In my personal life I spend time on photography, mountain climbing, snorkeling and dirt bike riding.
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